short notes-पाठ्यचर्या और समावेशी शिक्षा (मोड्यूल1)
1.शिक्षा का अधिकार अधिनियम-
-86वे संविधान संशोधन 2002 के द्वारा संविधान में 21A अनुच्छेद जोड़ा गया जो कि 6 से 14 साल के बच्चों को अनिवार्य,मुफ्त शिक्षा का प्रावधान करता है ।निःशुल्क औरअनिवार्य बाल शिक्षा(RTE)अधिनियम2009 और अनुच्छेद 21A 1अप्रैल 2010 को लागू हुआ।
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2) प्रमुख कथन -----
अ) बच्चों को ये सिखाया जाना चाहिए कि कैसे सोंचे , न कि ये कि क्या सोंचे--
मार्गरेट मीड
ब)यदि कुछ बच्चे हमारे सिखाने के तरीके से नही सीख सकते हैं तब शायद हमे उन्हें उनके सीखने के तरीके से सिखाना चाहिए.....
इग्नासियो ऐस्त्रादा.
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3)राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा
(NCF2005):-A
इसका निर्माण NCERT द्वारा किया गया एवं इसको पूर्ण करने का कार्य प्रो. यशपाल जी द्वारा किया गया।इसका प्रमुख लक्ष्य आत्मज्ञान अर्थात विद्यार्थियों को अलग अलग अनुभव का अवसर देकर उन्हें स्वयं ज्ञान की प्राप्ति करनी होती है।
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4) NCF2005 की प्रमुख विशेषताएं----
इसके अनुसार प्राथमिक स्तर पर भाषा का माध्यम मातृभाषा हो।
शिक्षण सूत्र ज्ञात से अज्ञात की और, मूर्त से अमूर्त का प्रयोग।
सूचना को ज्ञान मानने से बचा जाए
बालको के चहुमुखी विकास पर आधारित पाठ्यचर्या।सभी विद्यार्थियों हेतु समावेशी वातावरण तैयार करना।
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5)NCF के प्रमुख तथ्य---
A)NCF इस मंत्रालय की पहल पर तैयार हुआ-मानव संसाधन मंत्रालय
B) NCF 2005 का प्रमुख सूत्र है..
Learning without burdon
बिना भार के अधिगम
C)NCF का प्रारम्भ रवींद्रनाथ टैगोर के इस निबंध से होता है........
सभ्यता और प्रगति
D)NCF2005 में बल दिया गयाहै-
शांति के लिए शिक्षा
E)NCF2005 का भाषाफ़ार्मूला है.
त्रि भाषाफ़ार्मूला
F)NCF 2005 के अनुसार मार्गदर्शक सिद्धान्त में निहित है---
ज्ञान को स्कूल के बाहर के जीवनसे जोड़ना।
G)NCF2005 के अनुसार बच्चों की गलतियां क्यों महत्वपूर्ण है..
यह समाधान को पहचानने में सहायता करती है।
H)NCF 2005 सिफारिश करता है की प्राथमिक स्तर पर गणित की शिक्षा का केंद्र होना चाहिए.....
कक्षा में पढ़ाये गए टॉपिक्स को जीवन से जोड़ना।
I) NCF 2005 के अनुसार सीखना है.. .......
मानसिक विकास,शिल्प कला
केंद्र,एवं व्यवसायिक ज्ञान।
J) NCF 2005 बल देता है...
करके सीखने पर ।
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6) सही क्रम लगाएं----
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
।।।
।।।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा
।।।
पाठ्यचर्या
।।।
पाठ्यक्रम
।।।
पाठ्यपुस्तकें
।।।
TLM
।।।
सीखने के प्रतिफल
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7)राष्ट्रीय शिक्षा नीति NEP 2020-
इससे पहले 1968,1986 में शिक्षा पर दो राष्ट्रीय नीति लाई गई थी।
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8) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख तथ्य-- --------
A)हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई जिसे सभी के परामर्श से तैयार किया गया है।
B)नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
C) इसके उद्देश्यों के तहत वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% GER के साथ-साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य रखा गया है।
D)अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था।
E)वर्तमान नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है
F)नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Eurolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
G)नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
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7)राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदु------------
A)स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान----
- नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है।
- पाँच वर्ष की फाउंडेशनल स्टेज (Foundational Stage) - 3 साल का प्री-प्राइमरी स्कूल और ग्रेड 1, 2
- तीन वर्ष का प्रीपेट्रेरी स्टेज (Prepatratory Stage)
- तीन वर्ष का मध्य (या उच्च प्राथमिक) चरण - ग्रेड 6, 7, 8 और
- 4 वर्ष का उच (या माध्यमिक) चरण - ग्रेड 9, 10, 11, 12
- NEP 2020 के तहत HHRO द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।
B)भाषायी विविधता का संरक्षण---
- NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
- स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
C)शारीरिक शिक्षा-----
- विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।
D)पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार-- --
- इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
- कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप (Internship) की व्यवस्था भी की जाएगी।
- ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of Educational Research and Training- NCERT) द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ (National Curricular Framework for School Education) तैयार की जाएगी।
- छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
- छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ (National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।
- छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence- AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग।
E)शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार------
- शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ (National Professional Standards for Teachers- NPST) का विकास किया जाएगा।
- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum Framework for Teacher Education-NCFTE) का विकास किया जाएगा।
- वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।
F)उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान-- --;
- NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
- NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
- विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit) दिया जाएगा, ताकि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।
- नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।
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9) पाठ्यचर्या,पाठ्यक्रम..
पढ़ने अथवा पढ़ाने योग्य विषय ,वस्तु ,सामग्री तथा क्रियाएं पाठ्यचर्या कहलाती है।पाठ्यचर्या को परिवर्तन कारी भूमिका निभानी होती है।
पाठ्यक्रम कक्षावार और विषयवार पढ़ाये जाने वाले विषयों की सूची प्रदान करता है।पाठ्यक्रम एक दस्तावेज है जो पढ़ाई जाने वाली विषयवस्तु की जानकारी देता है।
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10) सीखने का प्रतिफल-----
NCERT ने विकसित किया है जो पठन सामग्री को रटकर याद करने के मूल्यांकन से दूर हटाने के लिए बनाया गया है।
सीखने का प्रतिफल ज्ञान और कौशल से परिपूर्ण ऐसे कथन है जिन्हें बच्चों को एक विशेष कक्ष्या पाठ्यक्रम के अंत तक प्राप्त करने की आवश्यकता है।
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11) विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के सीखने के प्रतिफल के प्रमुख प्रावधान---
A) अधिगम प्रक्रिया में भागीदारी।बच्चों की आपस मे तुलना से बचे।
B)व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यचर्या और सीखने के परिवेश में बदलाव।
C)विभिन्न पठन क्षेत्रों में अनुकूलित गतिविधियों का प्रावधान ।
D)उम्र और सीखने के स्तरों के अनुरूप सुलभ पाठ और सामग्री।
E)कक्षाओं का उपयुक्त प्रबंधन जैसे शोर, चकाचौंध आदि का प्रवंधन
F)ICT , वीडियो,या डिजिटल स्वरूप का उपयोग करके अतिरिक्त सहायता का प्रावधान।
G)गतिशीलता सहायक यंत्र(व्हील चेयर,बैसाखी,सफेद बेंत, श्रवण सहायक , ऑप्टिकल या गैर ऑप्टिकल सहायता, शैक्षिक सहायता (टेलर फ्रेम,अबेकस)
H) अन्य बच्चों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की विशेषताओं और कमजोरियों के प्रति संवेदनशील बनाना।
I) आकलन के सफल समापन के लिए उपयुक्त विधि और अतिरिक्त समय का चयन करना।
J)घरेलू भाषा के लिए सम्मान और सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश से जुड़ाव।
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12)समावेशी कक्षाएं=
समावेशी शिक्षण से बच्चों की विलक्षण विशेषताओं/गुणों और कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है और इस प्रकार उनकी व्यक्तिगत अधिगम की आवश्यकताओं को भी पूरा किया जाता है ।
विद्यालय में सफलता के लिये हमें विविध सामाजिक तथा आर्थिक पृष्ठ भूमि वाले और शारीरिक,मनोवैज्ञानिक एवं बौद्धिक विशेषताओं में भिन्नता वाले बच्चों का ध्यान रखना होगा।
अलगाव वाली स्कूली शिक्षा की तुलना में समावेशी शिक्षा का तरीका कम खर्चीला और ज्यादा प्रभावी है।
कक्षा का माहौल ऐसा हो कि हर बच्चा खुश और तनावमुक्त महसूस करे।
जब सभी बच्चे उनकी पृष्ठभूमि या सीखने की जरुरतों पर आधारित भेदभाव के बिना एक साथ शिक्षित होते है तो सभी को लाभ होता है।
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13) शिक्षा का उद्देश्य केवल समावेशी विद्यालय ही नही बल्कि समावेशी समाज भी बनाना है।
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14) सभी शिक्षकों को कक्षाओं में प्रवेश करने से पूर्व अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों/पक्षपातों को छोड़ देना चाहिए।
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15) छात्राये विशेष हाशिये पर रह रहे समूहों की छात्राये अपने आपको अधिगम वातावरण में अलग थलग सा महसूस करती है।अतः शिक्षक को पहले स्वयं सभी विद्यालयी गतिविधियों में जेंडर के अंतर की पहचान करनी चाहिए और फिर कक्षा में उसके अनुसार गतिविधियों की योजना तथा कार्यान्वयन करनाचाहिए।
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16) शिक्षकों के कौशल----
A)विद्यार्थियों में अंतर की पहचान करने के लिए सम्वेदनशीलता।
B)विद्यार्थियों के बीच सामाजिक सांस्कृतिक , सामाजिक-आर्थिक और भौतिक विविधताओं की स्वीकृति
C)मतभेदों की सराहना करना और उन्हें संसाधन के रूप में मानना।
D)शिक्षण अधिगम की विभिन्न जरूरतों को समझने के लिए समानुभूति और कार्य
F) शिक्षार्थियों को विभिन्न विकल्प प्रदान करने के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता।
G)प्रौद्योगिकी के उपयोग से अधिगम सहायता करना
H)अंतर-व्येक्तिक सम्बन्धो / मृदु कौशलों से निपटना ।
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17)समावेशी शिक्षा और RPWD अधिनियम 2016-----
इसे दिव्यांगजन अधिकार कानून 2016 के नाम से भी जाना जाता है और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देता है।
समावेशी शिक्षा का अर्थ शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली है जिसमे सामान्य और विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी एक साथ सीखते है और शिक्षण अधिगम व्यबस्था को
विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों की विभिन्न प्रकार की शिक्षण अधिगम की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयुक्त रूप से अनुकलित किया जाता है।
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References-निष्ठा पुस्तिका, विकिपीडिया, दृष्टि आई ए एस और इण्टरनेट से प्राप्त सामग्री।
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