मंजरी कक्षा 7/पाठ 1 / जागो जीवन के प्रभात
पद्य की व्याख्या
१. अब जागो ..............................................................................के प्रभात .
कवि नव जीवन के प्रभात में जागने का आवाहन करता है . इस प्रातःकाल में ओस और बर्फ रूपी दुःख के जो कारण दिखाई देते थे , वे समाप्त हो गए हैं . लालिमायुक्त शरीर वाली उषा प्रकट हो चुकी है . अतः प्रभात में जाग उठो , इस नवजीवन में सक्रिय हो जाओ .
२. तम -नयनो ...............................................................................के प्रभात .
रात्रि के तारे , आँखों का अंधकार विलुप्त होकर प्रकाश की किरणों के समूह में मुंद गए हैं और प्रातः की शीतल , मंद और सुगंध वाली मलय समीर चल रही है . इस प्रभात वेला में जाग उठो और नवजीवन में सक्रिय हो जाओ .
३ . रजनी की ............................................................................ के प्रभात .
प्रभात होने से रात्रिकालीन साज -सज्जा [ अंधकार ] की कालावधि बीत गई है . प्रातः पक्षियों का जो मधुर गान हो रहा , उससे उठ कर मिलो ,उसका अभिनन्दन करो . पूर्व दिशा से जागृती की हवा चलने लगी है . अतः इस प्रातः काल की बेला में जाग जाओ . नवजीवन में सक्रीय हो जाओ .
q १ = कवि ने प्रातःकाल पृथ्वी पर फैले ओस कणो को क्या कहा है ?
===दुःख भरे आंसू कहा है .
q २ =उषा द्वारा ओस बटोरने का क्या आशय है ?
====उषा के आने पर दिन की गर्मी से ओस समाप्त हो जाती है , इसी प्रकार जागरण और सक्रियता से कष्ट दूर होते हैं .
q ३ ==भाव स्पष्ट करो
चल रहा सुखद यह मलय - वात .
====कवि दुःखों से भरी रात में हिमकणों को दुःख के आंसू कहता है . लेकिन अब प्रभात हो चुकी है और शीतल मन्द सुगन्धित हवा चल पड़ी है
q ४ ===भाव स्पष्ट करो
==कलरव से उठकर भेंटों तो .
=== कवि कहता है अब दुःख भरी रात बीत चुकी है और पक्षियों की चहचहाहट के साथ सुबह आ रही है .
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