कक्षा 8 विज्ञान -पाठ 3 -परमाणु की संरचना

 पदार्थ वह वस्तु है जिसका आयतन और द्र्व्यमान होता है ।


महारिषि  क्णाद ,दिमाकृतस और एपिक्यरस के अनुसार यदि हम पदार्थ को विभाजित करते जाएँ तब हमे छोटे छोटे कण प्राप्त होंगे । इन्हे और विभाजित नही कर सकते । इन सूक्ष्म कणो को परमाणु कहा गया ।

आइए अब इस डायाग्राम से तत्व तथा योगिक को समझने का प्रयास करते हैं

1808 मे डाल्टन ने द्रव्य की संरचना तथा परमाणु संबंधी एक परिकल्पना प्रस्तुत की जिसे डाल्टन का  परमाणुवाद कहते हैं 

20 वी सदी के प्रारम्भ मे हुई खोज के बाद पाया गया की परमाणु को भी विभाजित किया जा सकता है । इस प्रकार प्राप्त कणो को मूल कण कहा गया । मुख्य रूप से ये तीन मूल कण हैं ----

इन तीन मूल कणो का तुलनात्मक अध्ययन  निम्न प्रकार करते हैं
परमाणु रचना माडल 

परमाणु के इलेक्ट्रॉन प्रोटान के स्थान को निर्धारित करने के लीये प्रमुख तीन मोडेल दिये गए 
1 थामसन  मॉडल =इसके अनुसार इलेक्ट्रॉन 10 की घात -10 मीटर व्यास के परमाणु के ठोस गोले मे उसी प्रकार थंसे रहते हैं जैसे तरबूज मे बीज । इसका कोई प्रायोगिक पुष्टि न होने से ये अमान्य हुआ । 
2 रदरफोर्ड का नाभिकीय माडल = रदरफोर्ड ने सोने की पत्ती [.004 सेमी मोटी ] पर अल्फा कणो की बोछार करके पाया की परमाणु के केंद्र मे धन आवेश समाहित रहता है जिसे नाभिक कहते है । परमाणु का नाभिक इलेक्ट्रॉन से घिरा रहता है । 
इस मॉडल मे परमाणु स्थायी नही हो सकता क्यों की  चक्कर लगाते हुए इलेक्ट्रॉन ऊर्ज़ क्षय करेंगे और नाभिक मे गिर जाएगे ।
3।नील्स बोहर का मॉडल = इसके अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो और स्थायी कक्षा मे चक्कर  लगाते है और स्थायी कक्षा मे ऊर्जा क्षय नहीं होता । 

परमाणु संख्या  एवं द्रव्यमान संख्या -----------
परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानो की संख्या उस तत्व की परमाणु संख्या कहलाती है  इसे Z से दर्शाते है जबकि द्रव्यमान संख्या प्रोतन और न्यूटरोंन के योग को बताती है इसे A से दर्शाते हैं । 
किसी परमाणु मे प्रोटान तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है 

सनयोजक्ता 

किसी भी तत्व की सनयोजक्ता वह संख्या है जो ये दर्शाती है की उस तत्व का एक परमाणु  हाइड्रोजन के कितने परमाणुओ से संयोग कर्ता है  अथवा  विस्थापित करता है । 


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